नयी दिल्ली, अहमदाबाद से लंदन के लिए उड़ान भरने के बाद दुर्घटनाग्रस्त हुए एयर इंडिया के बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर विमान के कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर्स (सीवीआर) और फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर्स (एफडीआर) का डाटा प्रयोगशाला में निकाल लिया गया है और जल्द ही इसका निष्कर्ष सामने आने की संभावना है।
नागर विमानन मंत्रालय ने आज यहां एक बयान में यह जानकारी दी। भारत, अंतरराष्ट्रीय नागर विमानन संगठन (आईसीएओ) की शिकागो संधि (1944) के हस्ताक्षरकर्ता और आईसीएओ अनुलग्नक 13 और विमान (दुर्घटनाओं और घटनाओं की जांच) नियम, 2017 के अनुसार विमान दुर्घटनाओं की जांच करता है। विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (एएआईबी) ऐसी जांच के लिए नामित प्राधिकरण है।
बयान में कहा गया है कि एयर इंडिया फ्लाइट एआई-171 से जुड़ी दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना के बाद, एएआईबी ने तुरंत एक जांच शुरू की और निर्धारित मानदंडों के अनुरूप 13 जून को एक बहु-विशेषज्ञ दल का गठन किया। अंतरराष्ट्रीय प्रोटोकॉल के अनुसार गठित टीम का नेतृत्व एएआईबी के महानिदेशक द्वारा किया जाता है, और इसमें एक विमानन चिकित्सा विशेषज्ञ, एक एटीसी अधिकारी और राष्ट्रीय परिवहन सुरक्षा बोर्ड (एनटीएसबी) के प्रतिनिधि शामिल हैं, जो इस तरह की जांच के लिए आवश्यक निर्माण और डिजाइन राज्य (यूएसए) से सरकारी जांच एजेंसी है।
बयान के अनुसार दुर्घटनास्थल से सीवीआर और एफडीआर क्रमशः 13 जून को दुर्घटना स्थल पर इमारत की छत से और 16 जून को मलबे से बरामद किया गया था। उनके सुरक्षित संचालन, भंडारण और परिवहन के लिए मानक संचालन प्रक्रियाएं पूरी की गईं। इन उपकरणों को अहमदाबाद में कड़ी पुलिस सुरक्षा और सीसीटीवी निगरानी में रखा गया था।
इसके बाद, 24 जून को पूरी सुरक्षा के साथ वायुसेना के विमानों द्वारा ब्लैक बॉक्स को अहमदाबाद से दिल्ली लाया गया। फ्रंट ब्लैक बॉक्स 24 जून को दो बजे एएआईबी महानिदेशक के साथ दिल्ली के एएआईबी लैब पहुंचाया गया। रियर ब्लैक बॉक्स को दूसरी एएआईबी टीम द्वारा लाया गया था और 24 जून को शाम 1715 बजे एएआईबी लैब, दिल्ली लाया गया था।
बयान में कहा गया कि 24 जून की शाम को, एएआईबी के महानिदेशक के नेतृत्व में एएआईबी और एनटीएसबी के तकनीकी सदस्यों के साथ टीम ने डेटा निष्कर्षण प्रक्रिया शुरू की। सामने के ब्लैक बॉक्स से क्रैश प्रोटेक्शन मॉड्यूल (सीपीएम) को सुरक्षित रूप से पुनर्प्राप्त किया गया और 25 जून को मेमोरी मॉड्यूल को सफलतापूर्वक एक्सेस किया गया था और इसका डाटा एएआईबी लैब में डाउनलोड किया गया था।
नागर विमानन मंत्रालय के अनुसार सीवीआर और एफडीआर डाटा का विश्लेषण जारी है। इन प्रयासों का उद्देश्य दुर्घटना की ओर ले जाने वाली घटनाओं के क्रम को फिर से समझना और विमानन सुरक्षा को बढ़ाने और भविष्य की घटनाओं को रोकने में योगदान देने वाले कारकों की पहचान करना है।
मंत्रालय ने कहा कि सभी कार्रवाई घरेलू कानूनों और अंतरराष्ट्रीय दायित्वों के पूर्ण अनुपालन में समयबद्ध तरीके से की गई हैं।
